सियासी करंट-4: हिमाचल में अब भाजपा की टेंशन शुरू
हाइलाइट्स
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बागी व निर्दलीय विधायकों के कमल थामने के बाद अब सुलगने लगी भाजपा
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चिंतपूर्णी के पूर्व विधायक राकेश कालिया ने दिया इस्तीफा, ध्वाला भी उगलने लगे आग
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वरिष्ठ नेता शांता कुमार भी भाजपा के हालात से दुखी
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अब पार्टी और बागियों के बीच तालमेल बनी चुनौती
पंकज पंडित
अब तक कांग्रेस के लिए सिरदर्द बने बागी भाजपा की परेशानी बन गए हैं। पिछले एक माह से बागियों पर उठे कयासों के बीच तीन निर्दलीय सहित नौ लोगों के भाजपा में शामिल होने से अब कांग्रेस इनसे पूरी तरह चिंतामुक्त हो गई है। वहीं, अब भाजपा की टेंशन बढ़ने लगी है। इसकी शुरूआत चिंतपूर्णी विधानसभा से राकेश कालिया ने इस्तीफा देकर कर दी है। वहीं ध्वाला भी अपनी आक्रमक मूड में नजर आ रहे हैं। कुटलैहड़ में भाजपा के पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर पहले ही विधानसभा में पदयात्रा शुरू कर चुनाव लड़ने का संकेत दे चुके हैं। हालात धर्मशाला, नालागढ़, लाहौल स्पीति में भी सामान्य नहीं है। राम लाल मार्कंडे के सूत्र भी कांग्रेस के संपर्क में हैं। सुधीर की धर्मशाला में एंट्री से पूर्व प्रत्याशी राकेश चौधरी व विशाल नैहरिया भी अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत करने में जुड़ गए हैं। यह सारी स्थिति भाजपा के लिए चिंताजनक हैं। वहीं, भाजपा के पूर्व सीएम और वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने भी भाजपा के इस हालात पर सार्वजनिक टिप्पणी कर भाजपा को कटघरे में ला दिया है।
क्या खोया क्या पाया
नौ विधायकों के इस्तीफा देने के बाद अब विधानसभा की दलीय स्थिति देखें तो 34 कांग्रेस , 25 भाजपा और नौ विधायकों के पद खाली पड़े हुए हैं। इस समय हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में कुल 59 विधायक हैं। जिसके हिसाब से कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत मौजूद है। राज्य सभा की वोटिंग के दौरान 34 तक पहुंचने वाली भाजपा फिर 25 पर सिमटी हुई है। अगर गणित की भाषा में कहें तो कांग्रेस ने कोई विकट नहीं गवाई है। बल्कि भाजपा की ओर से नौ लोग हिट विकट हो चुके हैं। यदि नौ सीटों पर विधानसभा चुनाव जीत जाए तो 34- 34 होगी, ऐसी स्थिति में एक विधायक दोनों दलों को तोड़ना होगा। तो जाकर सरकार बनेगी।