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सियासी करंट: प्रतिभा ने बिना लड़े ही कांग्रेस के डलवा दिए हथियार, मंझधार में सुक्‍खू सरकार

 

हाइलाइट्स

  • छह पर भारी एक, बगावत से बेअसर सरकार को अब अपनों ने घेरा
  • एक तरफ लोकसभा चुनावों की तैयारी, उपचुनावों से सरकार बचाने की कवायद के बीच प्रतिभा ने हिलाई सरकार
  • जो काम छह बागी व भाजपा के पच्‍चीस विधायक नहीं कर पाए वो काम एक मात्र प्रतिभा का बयान ही कर गया

पंकज पंडित


हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था, हमारी कश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था..। हिमाचल में कांग्रेस का हाल इन्‍हीं पंक्तियों की तरह है। अंतर्कलह व बगावत से डममगाती सुक्‍खू सरकार को अब उनके सबसे बड़े चेहरे ने ही मुसीबत में डाल दिया है। प्रदेश में पहली बार लोकसभा के साथ-साथ प्रदेश की सरकार का भविष्‍य भी तय होना है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस की अध्‍यक्ष ने कांग्रेस को बिना लड़े ही हथियार डालने की स्थिति में पहुंचा दिया है। जो काम छह बागी व भाजपा के पच्‍चीस विधायक नहीं कर पाए वो काम एक मात्र प्रतिभा का बयान ही कर गया। वाले लोकसभा चुनावों में मोदी फैक्‍टर वैसे ही हावी है, ऐसे में कांग्रेस को ऐसे हालातों से निपटना चुनौती भरा होगा। एक और लोकसभा चुनावों और दूसरी और सरकार बचाने का दवाब कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर की तरह होगा………………

 

प्रतिभा के नाराजगी के कारण

 

०1⇒सरकार में बराबरी का हिस्‍सा देकर बनाई थी सरकार, वायदे से पलटी सुक्‍खू सरकार


जब पूर्व जयराम सरकार में मंडी लोकसभा उपचुनाव में प्रतिभा सिंह को कांग्रेस प्रत्‍याशी बनाने के साथ ही कांग्रेस ने बड़ा उलटफेर करते हुए जीत दर्ज की थी, साथ ही प्रतिभा सिंह को कांग्रेस की कमान देकर वीरभद्र सिंह के प्रति प्रदेश में समर्थन को भुनाने की कवायद शुरू की थी। इसी तरह विधानसभा चुनावों के समय भी वीरभद्र समर्थकों का नेतृत्‍व प्रतिभा सिंह कर रही थी, उन्‍हें हाइकमान ने प्रदेश में मजबूत स्‍थान देने का वायदा किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव परिणाम आने के साथ ही प्रदेश में राजनैतिक समीकरण भी बदल गए।जब विधानसभा जीत के बाद कांग्रेस सरकार बनाने की बारी आई तो इसी शर्त पर प्रतिभा सिंह व वीरभद्र समर्थकों का राजी किया गया कि चेहरा भले सुक्‍खू होंगे, लेकिन सरकार में स्‍सेदारी उनकी भी बराबरी की रहेगी ।

०2⇒सुखविंद्र सुक्‍खू की ताजपोशी के बाद ही वीरभद्र खेमा दरकिनार


केवल कमजोर करने साथ में उन्‍हें सरकार में हाशिये पर ला खड़ा किया। वीरभद्र के कर्मस्‍थली शिमला में ही सुक्‍खू सरकार ने अपने दो समर्थकों को मंत्री पद देकर विक्रमादित्‍य सिंह की ही घेराबंदी कर दी। दूसरी तरफ मंडी संसदीय क्षेत्र में भी प्रतिभा सिंह की बार-बार न केवल हाइकमान से बल्कि सार्वजनिक बयानों में भी कांग्रेस कार्यकर्ता उर्फ वीरभद्र समर्थकों को एडजस्‍ट करने की बात कही थी, लेकिन हर बार उनकी आवाज को नकारा गया और सुक्‍खू सरकार बेपरवाह होकर आगे बढ़ती रही।

०3⇒अपनों ने ही छोड़ा साथ


प्रतिभा सिंह पर अपने ही समर्थकों का दवाब बढ़ता जा रहा था। धीरे धीरे अपने लोग ही उन्‍हें छोड़ने लगे। सबसे पहले झटका उन्‍हें अपने पालिटिकल एडवाइजर हर्ष महाजन के जाने से लगा। जिन्‍होंने भाजपा के साथ मिलकर ऐसी चाल चली की हिमाचल में कांग्रेस के लिए सियासत कांटों से भरी हो गई। बहुमत के बावजूद कांग्रेस को बैकफुट पर लाकर हर्ष अब राज्‍य सभा सांसद हैं। दूसरी तरफ वीरभद्र के सिपहसलार माने जाने वाले सुधीर शर्मा और राजेंद्र राणा ने भी अपनी अनदेखी के चलते बार-बार प्रतिभा सिंह को मुद्दा उठाने के लिए दवाब बनाया, लेकिन इसपर कार्रवाई न होते देख उन्‍होंने अलग गुट बनाकर बगावत का झंडा बुलंद कर दिया। जिसमें मजबूरी में आखरी चैप्‍टर में बगावत के समय इस्‍तीफा देते हुए नजर आए। लेकिन, अपनों को साथ रखने की यह कवायद भी काम न आई, बागियों के साथ-साथ सुक्‍खू सरकार में यादवेंद्र गोमा, भवानी सिंह पठानिया, नंद लाल, चंद्रशेखर, केवल सिंह पठानिया, संजय रत्‍न जैसे वीरभद्र समर्थकों को भी अपनी ओर कर लिया। वह भी सरकार ओहदों व अन्‍य वायदे कर अपने पक्ष में कर लिया। अब प्रतिभा ने यही बगावती सुर सरकार के बगावत के दौरान सरकार गिरने के संकट के समय भी उठाए थे, लेकिन हाइकमान के आर्ब्‍जवरों ने एक बार फिर से नए वायदे कर स्थिति को मैनेज कर लिया।

04⇒अार्ब्‍जवर की रिपोर्ट व पद खोने का डर भी कारण


प्रदेश में बगावत के बाद हुए घटनाक्रम में हाइकमान से आए आब्‍जर्वरों की सौंपी रिपोर्ट में सुक्‍खू को लापरवाह बताया गया था, वहीं प्रतिभा और विक्रमादित्‍य पर भी उंगली उठाई थी। हाइकमान को भेजी रिपोर्ट में एक ओर जहां विक्रमादित्‍य के इस्‍तीफे को अनुशानहीनता बताया गया था, वहीं प्रतिभा सिंह की कार्यप्रणाली को असंतोषजनक बताते हुए उन्‍हें अध्‍यक्ष पद से हटाने की सिफारिश की थी। साथ ही प्रतिभा को लोकसभा चुनावों में उतारकर उनसे अध्‍यक्ष पद वापिस लेने की कवायद शुरू की गई, लेकिन प्रतिभा सिंह पहले ही चाल समझ गई और उन्‍होंने एमपी चुनावों से किनारा करते हुए अध्‍यक्ष पद पर अपनी दावेदारी बरकरार रखी। जिससे सुक्‍खू सरकार से लेकर हाइकमान की वो मजबूरी बनी रहे।

यहा होंगे साइड इफेक्‍ट


– प्रतिभा सिंह के इस बयान से कांग्रेस की अंतकर्लह सामने आ गई है। इसका सीधा असर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ेगा
– वीरभद्र समर्थक कोई भी चुनाव में नहीं उतरेगा, ऐसे में अब प्रत्‍याशियों से लेकर चुनाव जीतने तक की पूरी जिम्‍मेवारी सुक्‍खविंद्र सिंह सुक्‍खू और उनके मित्रों के कंधे पर आएगी।
– लोकसभा और उपचुनाव को देखते हुए कांग्रेस अब प्रतिभा सिंह पर कोई भी कार्रवाई करने का जोखिम नहीं ले सकती, ऐसे में उनका चेहरा अागे करके उनकी बयानबाजी को रोकना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
– प्रतिभा की नाराजगी का असर सरकार की छवि के साथ साथ आम जनता पर भी नजर आएगा। मोदी फैक्‍टर व वीरभद्र समर्थकों की उपेक्षा का काकटेल सुक्‍खू सरकार के लिए घातक हो सकता है।

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