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अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव 2024: चौहटे की जातर के बाद देवता लौटे अपने गांव

 

हाइलाइट्स

  • टारना की पहाड़ियों से उतरे बड़ादेव कमरूनाग का राजा के बेहड़े में किया सत्कार
  • माधोराय की अंतिम जलेब में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने की शिरकत
  • राज्यपाल ने अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के समापन समारोह की अध्यक्षता की

पोस्‍ट हिमाचल न्‍यूज एजेंसी 


मंडी, मुरारी शर्मा। अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव 2024 के अवसर पर बाबा भूतनाथ के प्रांगण में आयोजित होने वाली चौहटे की जातर के बाद मेले आए जनपद के अधिकांश देवता अपने-अपनेे गांव लौट गए हैं। चौहटे की जातर के रूप में बाबा भूतनाथ के प्रांगण चौहटा बाजार में शिवरात्रि मेले का अंतिम देवसमागम आयेाजित होता है। जिसे चौहटा की जातर के नाम से जाना जाता है। शुक्रवार को सुबह से की चौहटा बाजार में देवसमागम सजने लग गया था। मेले के दौरान छह दिनों तक पड्डल मैदान में देवी -देवता बैठते हैं। मगर मेले के अंतिम दिन सभी देवी-देवता चौहटा के देव समागम में पहुंचे।

राजा के बेहड़े में देव कमरूनाग का स्‍वागत


जनपद के बड़ा देव कमरूनाग भी छह दिनों तक टारना की पहाड़ियों में स्थित श्यामाकाली मंदिर में विराजने के बाद शुक्रवार सुबह मंडी शहर में लौट आए। राजा के बेहड़े में उनका स्वागत सत्कार किया। इसके पश्चात कमरूनाग देवी-देवताओं से मिले। वहीं कुछ देर तक सेरी चानणी की सीढ़ियों पर विराजमान हुए और श्रद्धालुओं को दर्शन दिए।

  • चौहटा की जातर के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि में आए देवी-देवता पड्डल मैदान में देव समागम के बाद वापस अपने गांव लौट जाते हैं। चौहटा की जातर में लोगों की भारी भीड़ उनके दर्शनों के लिए उमड़ पड़ी। इससे पूर्व मेला कमेटी के अध्यक्ष की ओर से राज राजेश्वरी के मंदिर में पूजा अर्चना की गई। इस दौरान छोटी जलेब निकली गई, जिसमें पुलिस बैंड के साथ राजदेवता की पालकी भी शामिल रही। जहां मेला कमेटी अध्यक्ष उपायुक्त अपूर्व देवगन ओर से गणेश पूजन किया गया। इसके पश्चात बेहड़े में ठहरे देवी देवताओं को मिठाई , नारियल और चादर भेंट की गई।

  • इसके पश्चात बाबा भूतनाथ की पूजा के बाद मेला कमेटी के अध्यक्ष द्वारा चौहटा में विराजमान देवी देवताओं को व्यापार मंडल की ओर से भी पूजा की थाली भेंट की गई। जिसमें फल, शालू व नारियल आदि सामग्री मौजूद रही। चौहटा में कुछ देर बैठने के पश्चात देवी देवता आपस में गले मिलते हैं और वापस अपने -अपने गांव लौट गए। एक सप्ताह तक मंडी शहर ढोल—नगाड़ों ,शहनाई—करनाल और रणसिंगों के समवेत सवरों से गुंजायमान रहा। जबकि कुछ देवता और उनके देवलू राजदेवता माधोराय की अंतिम जलेब में शामिल हुए और नाचते गाते हुए अपने देवता के साथ अपने-अपने गांव लौट गए।

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सप्ताह भर चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हिमाचल के त्योहारों व उत्सवों की विश्वभर में एक अलग पहचान है और इनके माध्यम से प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलती है। उन्होंने प्रदेश की संस्कृति को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करने पर बल देते हुए कहा कि युवा पीढ़ी हमारे देश व राज्य की एक ऐसी ऊर्जावान शक्ति है जो हमें विश्वभर में मजबूत राष्ट्र के रूप में पहचान दिलाएगी। इस अवसर पर लेडी गर्वनर जानकी शुक्ल भी उनके साथ उपस्थित थीं। उन्होंने कहा कि मंडी शिवरात्रि केवल एक महोत्सव नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का त्योहार है।

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