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श्री रेणुका जी मेले में पारंपरिक बुडाह नृत्य प्रतियोगिता: लुप्त होती कला को संरक्षित करने की पहल

Traditional Budah Dance in Sirmour: श्री रेणुका जी (सिरमौर) में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले के तीसरे दिन ऐतिहासिक रेणु मंच पर पारम्परिक बुडाह नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य लुप्त होती इस पारम्परिक कला को पुनर्जीवित करना और उसे आने वाली पीढ़ियों तक संजोए रखना था। सिरमौर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से 9 सांस्कृतिक दलों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया। इस नृत्य में पारम्परिक वाद्य यंत्र हुड़क और कांसी की थाली का उपयोग होता है, जो इस नृत्य को और भी जीवंत बनाते हैं। इसके साथ ही इस नृत्य को प्रस्तुत करने वाले लोग विशेष पारम्परिक पोशाक पहनते हैं, जो इसे आकर्षक बनाता है।

इतिहासकार कंवर सिंह नेगी, जो इस प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका में थे, ने इस प्रयास की सराहना की और कहा कि बुडाह नृत्य सिरमौर की सांस्कृतिक धरोहर है, जो अब विलुप्ति के कगार पर है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस नृत्य के संरक्षण के लिए इसे ग्रामीण स्तर पर प्रोत्साहन मिलना चाहिए और कलाकारों को उचित मेहनताना दिया जाना चाहिए ताकि वे इस कला को जीवित रख सकें।

प्रतियोगिता के अंत में प्रशासन द्वारा पहले, द्वितीय, और तृतीय स्थान पर रहे दलों को क्रमशः 15,000, 13,000, और 11,000 रुपये के नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

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