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शंकराचार्य ने शिमला के राम मंदिर का बहिष्कार, साईं मूर्ति के चलते किया गो ध्वज कार्यक्रम का बहिष्कार

 

Shimla: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के राम मंदिर में स्थापित साईं की मूर्ति को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गुरुवार को शिमला पहुंचे थे, जहां वह राम मंदिर में गो ध्वज फहराने के कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे। लेकिन साईं की प्रतिमा के चलते उन्होंने राम मंदिर का बहिष्कार किया और वहां गए बिना ही वापस लौट गए।

शंकराचार्य का कहना था कि साईं की मूर्ति को मंदिर से हटाने के लिए पहले ही एक पत्र भेजा गया था, लेकिन मूर्ति नहीं हटाई गई। इसके कारण उन्होंने जाखू मंदिर में गो ध्वज फहराया और वहीं से वापस देहरादून लौट गए। शंकराचार्य के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगीराज ने बताया कि शंकराचार्य ने कहा है कि हिंदू धर्म में पहले ही 33 करोड़ देवी-देवता हैं, ऐसे में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति की मूर्ति का कोई स्थान नहीं है।

शंकराचार्य का राम मंदिर आंदोलन में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जहां उन्होंने वेदों और शास्त्रों के माध्यम से अयोध्या में राम मंदिर की भूमि को राम की जन्मभूमि सिद्ध किया था। वर्तमान में वे गो माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन चला रहे हैं। यह यात्रा 22 सितंबर को अयोध्या से शुरू हुई थी और 27 अक्टूबर को वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में गो ध्वज फहराने के साथ समाप्त होगी।

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