शिमला। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। पहले दिन मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना का विधान है। पूरे देश में मंदिरों और पंडालों में माता की प्रतिमाएं स्थापित हो चुकी हैं। इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। मां ब्रह्मचारिणी को नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप माना जाता है। उनकी पूजा से साधक के भाग्य में वृद्धि होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्मा जी का स्वरूप हैं, अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं। मान्यता है कि देवी की विधिनुसार आराधना करने से भक्त हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करते हैं। इस नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और भोग के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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मां ब्रह्मचारिणी का रूप:
मां ब्रह्मचारिणी का रूप मन को मोह लेने वाला है। देवी सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं और एक हाथ में कमंडल तथा दूसरे हाथ में माला होती है। मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा करने से भक्तों को ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है और उनके सुखों में वृद्धि होती है।
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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि:
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। इस दिन भक्त ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा सामग्री के साथ पूजा स्थान पर बैठें। मां ब्रह्मचारिणी जी को फूलों की माला पहनाएं, उसके बाद अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। इस दौरान भोग स्वरूप पंचामृत और मिठाई का भोग लगाएं। मां को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। अंत में दीप लगाकर आरती करें और अपनी गलतियों की क्षमा मांगे।
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए गुड़ या चीनी से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। अगर मिठाई उपलब्ध नहीं है, तो आप केवल चीनी या गुड़ भी अर्पित कर सकते हैं, जिसे बेहद शुभ माना जाता है।